Special Report: कोरोना और अब मानसून खड़ी कर सकता है बड़ी मुसीबतें

Special Report: कोरोना और अब मानसून खड़ी कर सकता है बड़ी मुसीबतें

नरजिस हुसैन

कोरोना वायरस के शुरूआती दौर से ही इस बात को लेकर कयास लगाए जाते रहे है कि यह वायरस किस तहर खुद को अलग-अलग तापमान में जीवित रख सकता है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना था कि बहुत गर्मी के मौसम में कोरोना खुद-ब-खुद खत्म  हो जाएगा क्योंकि तेज तापमान में यह जीवित ही नही रह पाएगा। कुछेक का मानना था कि सर्द मौसम कोरोना को पनपने और फैलने से रोक सकता है हालांकि कुछ यह भी कहते थे कि मानसून की उमस या ह्यूमिड वाली गर्मी इसको खत्म करने के लिए काफी है। जनवरी से भारत में कोरोना का फैलाव हर राज्य में और करीब-करीब हर तापमान में देखा गया लेकिन, कोरोना बेहद गर्मी से लेकर सर्दीं और उमस से लेकर ह्यूमिड, हर तरह के तापमान में खुद को जिंदा रखने में सक्षम है।

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अमेरिका के भी कुछ डॉक्टरों का कहना था कि आमतौर पर वायरस ज्यादा गर्मी या तापमान में खुद ही मर जाते हैं लेकिन, कोरोना के मामले में ऐसा सच साबित नहीं हुआ। बल्कि देशभर के कोरोना पॉजिटिव अगर आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो मालूम होता है कि गर्मियों में इस वायरस का फैलाव सबसे ज्यादा हुआ। अप्रैल और मई बेहद गर्म महीनों में भी कोरोना का फैलाव जारी रहा। 16 जून तक कोरोना पॉजिटिव की तादा बढ़कर 4.3 लाख हो गई जिसके बाद भारत दुनिया में कोरोना के मामलों में चौथे नंबर पर आ गया। 30 जनवरी को देश में पहला कोरोना का मरीज आया उसके बाद महीना दर महीना यह वायरस ऐसा तेजी से फैला कि आज यानी 12 जुलाई को देश में यह आंकड़ा 8,54,480 तक पहुंच गया है। कोरोना से प्रभावित लोगों की संख्या के लिहाज से आज भारत पूरी दुनिया में तीसरे नंबर पर है। इससे आगे सिर्फ ब्राजील और अमेरिका ही हैं।

अब एक जून से भारत में मानसून शुरू हो गया है और धीरे-धीरे यह पूरे देश में बरसातें लाएगा। इससे तापमान तो जरूर गिरेगा लेकिन, सब जगह उमस और ह्युमिड बढ़ेगी। लोगों को अब भी उम्मीद है कि शायद इस मौसम में कोरोना दम तोड़ देगा लेकिन, डॉक्टर अब भी इस मामले में असमंजस में हैं। हालांकि, वायरल इंफेक्शन का फैलाव तीन बातों पर निर्भर करता है- मौसम में बदलाव, लोगों की आदतें और वायरस का खुद की विशेषताएं। अब क्योंकि कोविड-19 भी श्वसन तंत्र से जुड़ा बुखार पैदा करता है और इंफ्लुएंजा और सार्स वायरसेस भी इसी तरह का बुखार कम तापमान और उमस वाले मौसम में पैदा करते हैं। इसलिए जैसे-जैसे पूरे देश में बरसातें होनी शुरू हो जाएगी वैसे-वैसे कोरोना से होने वाले बुखार की पहचान करना डॉक्टरों के लिए और भी मुश्किल होता जाएगा।

आईआईटी बाम्बे ने हाल ही मे एक स्टडी में यह पाया कि मानसून के उमस भरे मौसम में कोरोना वायरस का फैलाव नहीं रुकता। यह स्टडी अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स में छपी (https://aip.scitation.org/doi/10.1063/5.0011960) जिसमें यह बताया गया है कि पॉजिटिव मरीज के सतह पर गिरे किसी भी तरह के फ्लूइड से यह वायरस फैलता है। यही नहीं बल्कि दुनियाभर में मानसून और कोरोना को लेकर अब तक जो अलग-अलग अध्ययन हुए हैं उनसे पता चलता है कि मानसून में कोरोना न सिर्फ फैलता है बल्कि तेजी से और लंबे समय के लिए फैलता है। हालांकि, कैनेडियन मेडिकल एसोसिएशन जनरल का एक अध्ययन बताता है कि 144 अलग-अलग तापमान वाले देशों में रिसर्च करने के बाद यह मालूम हुआ कि कोरोना वायरस पर तापमान और मौसम का कोई असर नहीं होता।

बारिश का मौसम वैसे ही डेंगू, मलेरिया, जापानी इंसेफलाइटिस और चिकनगुनिया का डर बढ़ा देता है ऐसे में हमारा मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर जोकि अकेले कोरोना से लड़ने में ही नाकाफी है किस तरह लोगों की जान बचा पाएगा। पिछले पांच सालों में देश में कुल 1,393 नवजात शिशु जापानी इंसेफलाइटिस से दम तोड़ चुके हैं। इसके अलावा डेंगू और चिकनगुनिया भी मानसून के दौरान दिल्ली और आस-पास के राज्यों में तेजी से फैलते है।

लेकिन, चाहे जो भी हो वैज्ञानिको का कहना है कि सोशल डिस्टैसिंग और अपनी साफ-सफाई की आदतों से हम न सिर्फ कोरोना बल्कि मौसमी बुखार से भी खुद को बचा सकते है। हालांकि, ये बात सही है कि बारिशों के समय में लोग आमतौर पर घरों में रहते हैं इससे वे वायरस से बचे रह सकते हैं लेकिन, सड़कों और सार्वजनिक जगहों पर थूकना भारत जैसे देश में वायरस के फैलाव को बढ़ावा देने के लिए काफी है। तो हमें साफ-सफाई की आदते डालनी ही होगी। लेकिन साथ ही केन्द्र और राज्य सरकारों को भी इस नौबत के आने से पहले अपने स्वास्थ्य तंत्र को एक बार फिर से खंगालने की जरूरत होगी।

 

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